सल्तनते मालवा ओर चंदेरी का स्वर्ण काल भाग 1

    सल्तनते मालवा ओर चंदेरी का स्वर्ण काल

भाग 1  

आप को यह बात समझ लेनी चाहिये कि मालवा प्रदेश बड़ा ही विस्तृत राज्य था और वहां बड़े गौरवशाली हाकिम होते चले आये हैं। बड़े-बड़े
राजे तथा राय उदाहरणार्थ राजा विकरमाजीत (विक्रमादित्य)
जिससे हिन्दुओं का इतिहास प्रारम्भ होता हैयहीं के थेराजा भोज इत्यादि ,मालवा के शासक रहे हैं। सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के राज्यकाल से इस प्रदेश में इस्लाम प्रारम्भ हुआ। देहली के सुल्तानों में सुल्तान ग़यासुद्दीन बल्बन ने इस राज्य पर अधिकार प्राप्त किया और सुल्तान मुहम्मद फ़ीरोज शाह के राज्यकाल तक यह देहली के सुल्तानों के अधिकार में रहा।
दिलावर खां गोरी ने सुल्तान मुहम्मद बिन फ़ीरोज़ की ओर से उस राज्य में पहुंच कर स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया। उस समय से मालवा के हाकिम देहली के सुल्तानों की
अधीनता से निकल गये और अकबर के राज्यकाल तक
निरन्तर ग्यारह व्यक्ति राज्य करते रहे। मालवा के सुल्तानों
का राज्य दिलावर खां के समय से प्रारम्भ हुआ। कहा जाता है
कि सुल्तान मुहम्मद बिन फ़ीरोज़ शाह का उसके अभियानों
में कुछ लोगों ने निष्ठापूर्वक साथ दिया था। जब वह बादशाह
 हुआ तो उसने प्रत्येक के प्रति रियायत करके चार व्यक्तियों
को चार राज्य प्रदान कर दिये।
1.ज़फ़र खां बिन वजीहुलमुल्क को गुजरात
2.खिज्र खां को मुल्तान तथा दीपालपुर
3.ख्वाजा सरवर ख्वाजये जहां को सुल्तानुश्शर्क की उपाधि देकर
 (ख्वाजा सरवर मतलब के किन्नर) जौनपुर  तथा 
4.दिलावर खां गोरी को मालवा भेज दिया।
चंदेरी भी मालवा सल्तन मे थी था चंदेरी मे  यातों सुल्तान
अपने किसी खास बफ़दार  गवर्नर को नियुक्त करते थे
 या सुल्तान के खनदान का ही व्यक्ति यहा हुकुमत करते रहे|
ओर इस सल्तनत काल मे चंदेरी ने ऊंचा मुक़ाम हासिल किया
आप कह सकते है कि यही चंदेरी का स्वर्ण काल रहा जिसके
बारे मे आप को आगे के भागो मे तफ़सीर से बताउगा|