मालवा के खलजी कौन थे

तिहासकारों के अनुसार मन्दू का पहला सुल्तान महमूद (महमूद शाह खलजी-I)-बिन मलिकुश्शर्क खाने जहा मुगीस है। उसके उपरान्त उसका पुत्र गयासुद्दीन (गयासुद्दीन खलजी)बिन महमद है। उसके पश्चात नासिरुद्दीन(नासिरुद्दीन खलजी) बिन गयासुद्दीन, उसके बाद अलाउद्दीन महमूद(महमूद खलजी-II) बिन नासिरुद्दीन। 

खलजी कौन थे

कहा जाता है कि तुर्कों के एक नगर का नाम 'खलज' था , और यह भी बताया जाता है कि उसका  मूल रूप 'कालज' था  और अधिक प्रयोग में आते-आते खलज हो गया। कालज अफ़रासियाब' (ईरान के बादशाह )के एक  पुत्र का भी नाम था

उसने चंगेज खां मुगल की पुत्री से विवाह किया था और फिर उससे पृथक होने केश्चात् ३०,००० अश्वारोहियों सहित काबुल में निवास करने लगा था। चंगेज खां की मोत के उपरान्त

उसने समरकन्द पर अधिकार जमा लिया। वहां उसके तीन पुत्रों का जन्म हुआ। सब से छोटा तूलक खां था। यह वही है जिसने कुन्दुज में निवास ग्रहण किया और इस्लाम स्वीकार किया। उसके दो पुत्र थे। नसीरुद्दीन तथा फ़ीरोज़। वे दोनों उसकी मोत के उपरान्त कुन्दुज से देहली चले आये। उस समय

सुल्तान गयासुद्दीन बल्बन राज्य करता था। कैकुबाद के राज्यकाल में फ़ीरोज, लोहूर(लाहोर) का अमीर था।  कैकाऊस के राज्यकाल में फ़ीरोज़ ने राज्य पर अधिकार प्राप्त कर लिया और अपने भाई नसीरुद्दीन को अमरोहा का राज्य प्रदान कर दिया। नसीरुद्दीन के एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम अली शेर बिन नसीरुद्दीन  था। अली शेर के यहां मुगीस विन अली शेर पैदा हुआ और मुगीस के यहां महमूद बिन मुगीस पैदा  हआ। जब होशंग वाली हुआ (मालवा का सुल्तान बना ) तो महमूद उसका वज़ीर हुआ। होशंग के पुत्र सैफुद्दीन के समय में भी  महमूद पूर्व की भांति वजीर रहा। जब सैफ़द्दीन की मृत्यु हो गई तो महमूद  ने राज्य पर अधिकार जमा जा लिया।